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सिरदर्द और हाई बीपी का क्या संबंध है?

सिरदर्द और हाई बीपी का क्या संबंध है?

क्या हर सिरदर्द हाई ब्लड प्रेशर का संकेत है? जानिए सिरदर्द और उच्च रक्तचाप के बीच का वास्तविक संबंध, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कब सतर्क रहना ज़रूरी है।

सूचना: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है और किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कभी आपने ऐसा महसूस किया है कि सिर के किसी हिस्से में तेज़ खिंचाव है, दर्द धड़कन के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है, और आपको लगता है कि शायद यह थकान, स्क्रीन टाइम या नींद की कमी का असर है? लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि यह सिरदर्द आपके बढ़े हुए ब्लड प्रेशर का संकेत हो सकता है? या फिर ये केवल एक संयोग है? बहुत से लोग सिरदर्द को हाई बीपी से जोड़ते हैं, लेकिन इसका वैज्ञानिक सच क्या है—यही जानना बेहद ज़रूरी है।

हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है, क्योंकि यह अधिकतर बिना किसी लक्षण के शरीर में असर करता है। मगर सिरदर्द एक ऐसा लक्षण है जिसे कई लोग सीधे तौर पर हाई बीपी से जोड़ते हैं। पर वास्तविकता यह है कि आमतौर पर, नियमित या मामूली रूप से बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर सिरदर्द पैदा नहीं करता। यह तब तक लक्षण नहीं देता जब तक कि वह बहुत अधिक स्तर तक न बढ़ जाए—जिसे हाइपरटेंसिव क्राइसिस कहते हैं।

हाइपरटेंसिव क्राइसिस वह स्थिति होती है जब ब्लड प्रेशर 180/120 mmHg या उससे भी ऊपर चला जाता है। इस स्तर पर व्यक्ति को तीव्र, अचानक शुरू हुआ सिरदर्द हो सकता है, खासकर सिर के पिछले हिस्से में। यह सिरदर्द अक्सर धड़कता हुआ महसूस होता है और इसके साथ धुंधलापन, उल्टी, घबराहट या सीने में दर्द भी हो सकता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है, और ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

लेकिन अधिकांश समय, जिन लोगों को हाई बीपी होता है, उन्हें कोई सिरदर्द नहीं होता। और कई बार, सिरदर्द किसी और कारण से होता है—जैसे माइग्रेन, टेंशन हेडेक, साइनस या गर्दन की अकड़न। और चूंकि ये स्थितियाँ आम हैं, लोग इसे अक्सर बीपी से जोड़ देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति को सिरदर्द हो रहा होता है और जब वह डॉक्टर के पास जाता है तो उसकी बीपी थोड़ी बढ़ी हुई पाई जाती है। यह भी ज़रूरी नहीं कि बीपी सिरदर्द की वजह हो; दरअसल, सिरदर्द की तकलीफ के कारण स्ट्रेस और पेन के चलते बीपी अस्थायी रूप से बढ़ सकता है।

वैज्ञानिक अध्ययनों ने यह साबित किया है कि सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर के बीच सीधा और सामान्य संबंध नहीं होता—सिवाय उन स्थितियों के जहाँ बीपी खतरनाक स्तर तक बढ़ा हुआ हो। एक बड़ी स्टडी ने यह पाया कि हाई बीपी वाले लोगों को सामान्य या लो बीपी वाले लोगों की तुलना में सिरदर्द कम होता है। यह एक ऐसा तथ्य है जो आम धारणाओं के विपरीत जाता है।

इसके बावजूद, हमें सिरदर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को बार-बार सिरदर्द हो रहा है, खासकर सुबह के समय, गर्दन की अकड़न के साथ, आंखों के सामने धुंधलापन है, और साथ में ब्लड प्रेशर भी उच्च है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि शरीर में कुछ गड़बड़ है। यह सिरदर्द किसी ब्रेन संबंधी स्थिति जैसे कि ब्रेन ब्लीड, स्ट्रोक या हाई इन्ट्रा-क्रेनियल प्रेशर का संकेत भी हो सकता है, और ऐसे मामलों में डॉक्टर से तुरंत सलाह लेना जरूरी होता है।

सिरदर्द और हाई बीपी के बीच का यह जटिल संबंध हमें यह सिखाता है कि शरीर के किसी भी संकेत को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। खासकर तब, जब दो संभावित कारण एक ही समय पर सामने आ रहे हों। अगर सिरदर्द नए तरह का है, या पहले से अलग महसूस हो रहा है, या फिर बार-बार हो रहा है, तो केवल पेनकिलर लेना समाधान नहीं है—बल्कि जांच करवाना ज़रूरी है।

कभी-कभी सिरदर्द बीपी की दवाओं की वजह से भी हो सकता है। खासकर जब किसी व्यक्ति को हाल ही में ब्लड प्रेशर की दवा दी गई हो, और उसका बीपी अचानक गिर गया हो। इस स्थिति में दवा की डोज़ को एडजस्ट करने की ज़रूरत हो सकती है, और यह निर्णय सिर्फ डॉक्टर ही ले सकता है। इसलिए हाई बीपी के इलाज में सिरदर्द का अनुभव हो तो अपने डॉक्टर को सूचित करें।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि हर सिरदर्द खतरनाक नहीं होता और हर सिरदर्द का मतलब हाई बीपी भी नहीं होता। लेकिन अगर आप पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं और आपको कोई असामान्य सिरदर्द हो रहा है—जो पहले कभी नहीं हुआ, जो बहुत तेज़ है, या जो सोते समय भी परेशान करता है—तो इसे चेतावनी के संकेत की तरह लें।

आजकल के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में सिरदर्द एक सामान्य सी शिकायत बन गया है। और साथ ही, हाई ब्लड प्रेशर भी एक आम और चुपचाप बढ़ने वाली बीमारी है। इन दोनों के बीच वास्तविक संबंध को समझना जरूरी है ताकि न तो हम बेवजह घबराएं और न ही अनदेखी करें। ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से मॉनिटर करना और सिरदर्द की प्रकृति को समझना—दोनों ही उपाय हमारे स्वास्थ्य के लिए अहम हैं।

अंत में यही कहा जा सकता है कि सिरदर्द और हाई बीपी के बीच का संबंध हमेशा सीधा नहीं होता, लेकिन जब दोनों एक साथ नज़र आएं तो सतर्क रहना ज़रूरी है। जागरूकता और समय पर जांच ही हमारे स्वास्थ्य की सबसे बड़ी रक्षा होती है।

 

FAQs with Answers:

  1. क्या सिरदर्द हाई बीपी का संकेत होता है?
    नहीं हमेशा नहीं। सिरदर्द तब होता है जब ब्लड प्रेशर बहुत ज़्यादा बढ़ा हो, जिसे हाइपरटेंसिव क्राइसिस कहते हैं।
  2. हाइपरटेंसिव क्राइसिस क्या होता है?
    यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है जब बीपी 180/120 mmHg से अधिक होता है और इसके साथ सिरदर्द, धुंधलापन या सांस फूलना हो सकता है।
  3. क्या हर सिरदर्द को बीपी से जोड़ना सही है?
    नहीं, माइग्रेन, तनाव, साइनस जैसे कारण भी सिरदर्द के सामान्य कारण हो सकते हैं।
  4. क्या सिरदर्द के समय बीपी चेक करना जरूरी है?
    हां, अगर सिरदर्द असामान्य है या बार-बार हो रहा है तो बीपी की जांच अवश्य करें।
  5. बीपी की दवा लेने पर सिरदर्द क्यों हो सकता है?
    कभी-कभी दवा से बीपी अचानक कम हो जाता है जिससे सिरदर्द हो सकता है।
  6. क्या सिर के पीछे का दर्द हाई बीपी का संकेत है?
    अगर यह दर्द तीव्र, अचानक और बार-बार होता है, तो यह हाइपरटेंसिव इमरजेंसी हो सकता है।
  7. क्या लो बीपी में भी सिरदर्द होता है?
    हां, कभी-कभी लो बीपी में भी ऑक्सीजन की कमी से सिरदर्द हो सकता है।
  8. बीपी सामान्य रहते हुए भी सिरदर्द क्यों होता है?
    इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे तनाव, थकावट, dehydration या माइग्रेन।
  9. क्या बीपी बढ़ने से सिरदर्द शुरू होता है या उल्टा?
    दोनों संभव हैं। सिरदर्द के कारण तनाव बढ़ता है जिससे बीपी अस्थायी रूप से ऊपर जा सकता है।
  10. क्या डिजिटल बीपी मशीन सिरदर्द के वक्त सही रीडिंग देती है?
    हां, लेकिन शांत होकर, सही तरीके से मापना आवश्यक है।
  11. अगर सिरदर्द के साथ धुंधलापन भी हो तो क्या करें?
    तुरंत डॉक्टर से मिलें—यह स्ट्रोक या हाई बीपी से जुड़ा संकेत हो सकता है।
  12. क्या सिरदर्द से स्ट्रोक का खतरा होता है?
    हां, अगर सिरदर्द हाई बीपी के साथ हो और लक्षण तीव्र हों, तो स्ट्रोक का जोखिम होता है।
  13. क्या योग और प्राणायाम सिरदर्द और बीपी दोनों में मदद करते हैं?
    हां, वे तनाव घटाकर दोनों स्थितियों में राहत पहुंचा सकते हैं।
  14. क्या घरेलू उपाय सिरदर्द के साथ बीपी कंट्रोल कर सकते हैं?
    सीमित रूप में, लेकिन लगातार सिरदर्द और हाई बीपी में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
  15. क्या बार-बार सिरदर्द को नजरअंदाज करना खतरनाक है?
    बिल्कुल, यह किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है, खासकर यदि बीपी भी उच्च है।

 

 

बिना लक्षण के हाई ब्लड प्रेशर कैसे पता चले?

बिना लक्षण के हाई ब्लड प्रेशर कैसे पता चले?

बिना किसी लक्षण के हाई ब्लड प्रेशर कैसे शरीर को नुकसान पहुंचाता है? इस लेख में जानें कि कैसे नियमित जांच और सही जीवनशैली अपनाकर आप इस ‘साइलेंट किलर’ से खुद को बचा सकते हैं।

सूचना: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है और किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कल्पना कीजिए कि आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी सामान्य चल रही है—न कोई थकान, न कोई चक्कर, न कोई खास तकलीफ़। आप सुबह उठते हैं, अपने काम पर जाते हैं, थोड़ा-बहुत वॉक करते हैं, कभी-कभी हलका सिरदर्द होता है लेकिन आप सोचते हैं—”चलो, थकान की वजह से होगा।” लेकिन इसी चुप्पी में, शरीर के अंदर कुछ ऐसा चल रहा होता है जिसे आप महसूस नहीं कर पा रहे होते—आपका ब्लड प्रेशर चुपचाप धीरे-धीरे बढ़ रहा होता है। बिना किसी शोर-शराबे के, बिना चेतावनी के, वह आपके शरीर के तंत्र को नुकसान पहुँचा रहा होता है। यही है हाई ब्लड प्रेशर का सबसे खतरनाक पहलू—इसके लक्षण नहीं होते। और जब तक यह पकड़ में आता है, तब तक यह आपके दिल, किडनी, आंखों या दिमाग पर असर डाल चुका होता है।

हम अक्सर यह मान लेते हैं कि कोई बीमारी तब ही होगी जब शरीर कुछ संकेत देगा—जैसे दर्द, थकावट, चक्कर या बेचैनी। लेकिन हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप का मामला अलग है। इसे “Silent Killer” कहा जाता है, और सही ही कहा जाता है। क्योंकि यह शरीर में सालों तक बिना किसी स्पष्ट लक्षण के छिपा रह सकता है। कुछ लोगों को कभी-कभी सिरदर्द, चक्कर या दिल की धड़कन तेज़ लग सकती है, लेकिन यह संकेत सामान्य तनाव या नींद की कमी से भी जुड़ सकते हैं। इसलिए इन संकेतों पर निर्भर रहना आपको गलत सुरक्षा का आभास दे सकता है।

तो सवाल ये है: जब लक्षण नहीं हैं, तब हमें कैसे पता चलेगा कि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है? इसका एक ही उत्तर है—नियमित जांच। और यही वह बात है जो बहुत से लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जब तक कोई डॉक्टर न कहे, हम आमतौर पर ब्लड प्रेशर चेक कराने की ज़रूरत नहीं समझते। लेकिन अगर आप 30 की उम्र पार कर चुके हैं, अगर आपकी फैमिली में किसी को डायबिटीज़, हार्ट डिज़ीज़ या हाई बीपी है, अगर आप तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं, तो आपको साल में कम से कम दो बार ब्लड प्रेशर की जांच ज़रूर करानी चाहिए—चाहे कोई लक्षण हों या नहीं।

कई बार लोग सोचते हैं कि वे फिट हैं, उनका वजन सामान्य है, वे एक्टिव रहते हैं, तो उन्हें हाई ब्लड प्रेशर हो ही नहीं सकता। लेकिन वैज्ञानिक अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि जीवनशैली ठीक होने के बावजूद जेनेटिक कारणों, लंबे समय तक तनाव, नींद की कमी या अत्यधिक नमक सेवन जैसे कारणों से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसी वजह से बीपी की जांच सिर्फ बीमारों की जरूरत नहीं है—यह एक स्वस्थ व्यक्ति की जिम्मेदारी भी है।

आज की डिजिटल दुनिया में तो यह और भी आसान हो गया है। मार्केट में कई ऐसे डिजिटल बीपी मॉनिटर उपलब्ध हैं जिन्हें आप घर पर रख सकते हैं। सप्ताह में एक बार भी अगर आप बीपी चेक करते हैं और उसे एक डायरी में दर्ज करते हैं, तो आप एक ट्रैकिंग सिस्टम बना सकते हैं। और अगर एक-दो रीडिंग्स में थोड़ा ऊंचा दिखे, तो घबराइए नहीं, बल्कि डॉक्टर से मिलिए। यह रीडिंग कभी-कभी मानसिक तनाव, ज्यादा कैफीन या नींद की कमी के कारण भी ऊपर जा सकती है। लेकिन अगर लगातार दो-तीन बार बीपी 140/90 mmHg से ऊपर आता है, तो यह निश्चित रूप से ध्यान देने योग्य है।

हाई ब्लड प्रेशर की पहचान में एक और ज़रूरी बात होती है—सटीक जांच का तरीका। अक्सर लोग घर पर या मेडिकल स्टोर पर खड़े-खड़े बीपी चेक करा लेते हैं और अगर एक बार रीडिंग नॉर्मल आई तो संतुष्ट हो जाते हैं। लेकिन सही बीपी जांच के लिए कुछ सावधानियाँ ज़रूरी होती हैं—जैसे जांच से 30 मिनट पहले कैफीन या सिगरेट न लेना, जांच के समय बैठकर हाथ का सहारा लेकर मापना, कम से कम 5 मिनट आराम करना, और यदि संभव हो तो एक ही समय पर रोज़ाना मापना। एक बार की रीडिंग से ज्यादा मायने रखता है—रीडिंग का पैटर्न।

कुछ लोग ये सोचते हैं कि अगर कोई समस्या नहीं हो रही, तो दवा लेने की क्या जरूरत? लेकिन यही सोच कई बार महंगी पड़ जाती है। हाई बीपी से सबसे ज्यादा खतरा उन अंगों को होता है जो रक्त संचार पर निर्भर करते हैं—जैसे दिल, दिमाग, आंखें और किडनी। लगातार बढ़ा हुआ बीपी दिल की धड़कनों को असामान्य बना सकता है, हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकता है, आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है, या किडनी फेल कर सकता है। और जब ये समस्याएं शुरू होती हैं, तब जाकर व्यक्ति समझता है कि लक्षणों की कमी का मतलब बीमारी की कमी नहीं होती।

वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की सलाह है कि हाई बीपी के खतरे को कम करने के लिए रोकथाम ही सबसे अच्छा इलाज है। मतलब: अपनी जीवनशैली को बीपी-फ्रेंडली बनाना। इसमें नियमित व्यायाम, नमक की मात्रा में कटौती, प्रोसेस्ड फूड से दूरी, पर्याप्त नींद, तनाव कम करने की तकनीकें (जैसे मेडिटेशन, प्राणायाम), और अल्कोहल/धूम्रपान से परहेज़ शामिल हैं। यहां तक कि सिर्फ 5 से 10 किलो वजन कम करने से भी बीपी में उल्लेखनीय अंतर आ सकता है।

कई अध्ययनों में ये देखा गया है कि लोग तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते जब तक कि उन्हें चक्कर न आए, सांस फूलने न लगे, या स्ट्रोक जैसा कोई बड़ा एपिसोड न हो जाए। यह हमारी चेतना की विफलता है। हम हर छह महीने में कार की सर्विस तो कराते हैं, लेकिन अपने शरीर की जांच को टालते रहते हैं। जबकि शरीर हमारा सबसे कीमती संसाधन है, और इसे नियमित देखभाल की ज़रूरत है।

रोज़ाना के जीवन में छोटी-छोटी बातें हमारे ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकती हैं—चाहे वो नींद की क्वालिटी हो, ऑफिस की डेडलाइन्स हो, पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हों या फिर मोबाइल स्क्रीन पर देर रात तक लगे रहना हो। इसलिए ब्लड प्रेशर को केवल ‘बूढ़ों की बीमारी’ समझना एक बड़ी भूल है। आज 30-40 साल की उम्र के लोग भी उच्च रक्तचाप के शिकार हो रहे हैं, और इसका एक बड़ा कारण है—उपेक्षा। बीमारी की नहीं, बल्कि जांच की।

कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरण हमें यह समझने में मदद करते हैं। जैसे एक आईटी प्रोफेशनल, 34 साल का व्यक्ति, जिसे अचानक आंखों के सामने धुंधला दिखने लगा। जब डॉक्टर ने बीपी चेक किया तो वह 180/110 था। उसे खुद नहीं पता था कि वह बीते कई महीनों से हाई बीपी का शिकार था। दवा शुरू की गई, जीवनशैली बदली गई, और अब उसकी स्थिति सामान्य है। लेकिन सोचिए, अगर उसने समय रहते जांच करवाई होती तो शायद वह यह समस्या ही टाल सकता था।

हमें समझना होगा कि बिना लक्षणों के भी शरीर हमें संकेत देता है—जैसे कि थकान जो सामान्य नहीं लगती, बार-बार पेशाब आना, या कभी-कभी सीने में जकड़न। ये संकेत बहुत स्पष्ट नहीं होते, लेकिन इन्हें नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। और इन सबसे ऊपर है प्रिवेंटिव हेल्थ केयर—जो कहता है कि समस्या से पहले समाधान की तरफ बढ़ो।

बिना लक्षण के हाई ब्लड प्रेशर की यह सच्चाई हमें सिखाती है कि चुप्पी में भी खतरे हो सकते हैं। और इसलिए, जागरूकता ही सुरक्षा है। यदि हम समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच को अपनी जीवनशैली में शामिल कर लें, तो हम न केवल बीमारी की पहचान जल्दी कर पाएंगे, बल्कि उसके परिणामों से भी बच सकते हैं। यह एक साधारण-सी आदत, हमारे भविष्य की दिशा बदल सकती है।

कभी-कभी सबसे अहम बदलाव बहुत छोटे फैसलों से शुरू होते हैं। जैसे आज ही नजदीकी क्लिनिक जाकर बीपी चेक करवाना। या फिर एक डिजिटल बीपी मॉनिटर घर लाकर, पूरे परिवार की नियमित जांच करना। यह न सिर्फ आपके लिए, बल्कि आपके प्रियजनों की सेहत के लिए भी एक सुरक्षाकवच बन सकता है।

आपके शरीर की खामोशी को नजरअंदाज न करें। वह कुछ कह रहा है—बस आपको सुनने की आदत डालनी होगी।

 

FAQs with Answers:

  1. हाई ब्लड प्रेशर को बिना लक्षण कैसे पहचाना जा सकता है?
    नियमित ब्लड प्रेशर जांच ही एकमात्र तरीका है बिना लक्षण के हाई बीपी की पहचान का।
  2. क्या युवा लोगों को भी हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है?
    हां, आजकल तनाव, नींद की कमी और खराब जीवनशैली के कारण युवाओं में भी हाई बीपी आम हो गया है।
  3. कितनी बार बीपी की जांच करानी चाहिए?
    30 वर्ष के बाद हर 6 महीने में एक बार बीपी चेक कराना चाहिए, और जोखिम वाले लोगों को महीने में एक बार।
  4. क्या सिरदर्द हाई बीपी का लक्षण हो सकता है?
    कभी-कभी हां, लेकिन सिरदर्द हमेशा हाई बीपी का संकेत नहीं होता।
  5. अगर कोई लक्षण नहीं हैं तो भी दवा शुरू करनी चाहिए क्या?
    अगर बीपी लगातार 140/90 से ऊपर है, तो डॉक्टर की सलाह से दवा शुरू करना जरूरी है।
  6. बीपी मशीन घर पर रखना कितना विश्वसनीय है?
    डिजिटल बीपी मॉनिटर सटीकता के लिहाज से अच्छे होते हैं, लेकिन मापने की तकनीक सही होनी चाहिए।
  7. बीपी की रीडिंग दिन में कब लेनी चाहिए?
    सुबह जागने के 30 मिनट बाद और शाम को, दोनों समय बीपी मापना बेहतर होता है।
  8. क्या तनाव हाई बीपी की वजह बन सकता है?
    हां, क्रोनिक तनाव लगातार बीपी बढ़ा सकता है।
  9. क्या वजन कम करने से बीपी कंट्रोल होता है?
    बिल्कुल, 5 से 10 किलो वजन कम करने से बीपी में काफी सुधार आ सकता है।
  10. क्या आयुर्वेदिक इलाज हाई बीपी में मदद कर सकता है?
    हां, लेकिन डॉक्टर की निगरानी में ही वैकल्पिक चिकित्सा अपनाएं।
  11. क्या नमक कम करने से फर्क पड़ता है?
    हां, सोडियम सेवन घटाना बीपी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है।
  12. क्या व्यायाम से बीपी कंट्रोल होता है?
    नियमित वॉक, योग या एरोबिक एक्सरसाइज हाई बीपी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  13. क्या हाई बीपी से आंखों को भी नुकसान हो सकता है?
    हां, लंबे समय तक अनियंत्रित बीपी रेटिनोपैथी का कारण बन सकता है।
  14. अगर एक बार बीपी बढ़ा हुआ आया तो क्या तुरंत दवा लेनी चाहिए?
    नहीं, पहले दो-तीन बार जांचें, फिर डॉक्टर से परामर्श लें।
  15. हाई बीपी और लो बीपी में क्या अंतर है?
    हाई बीपी में रक्त का दबाव अधिक होता है, जबकि लो बीपी में रक्तप्रवाह कमजोर होता है—दोनों ही खतरनाक हो सकते हैं।