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प्री-डायबिटीज के 5 लक्षण और 3 आसान टेस्ट

प्री-डायबिटीज के 5 लक्षण और 3 आसान टेस्ट

प्री-डायबिटीज को पहचानना समय रहते क्यों ज़रूरी है? जानिए 5 शुरुआती लक्षण और 3 आसान टेस्ट जो डायबिटीज को आने से पहले रोक सकते हैं – बिना किसी जटिलता के।

सूचना: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है और किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आप एकदम सामान्य दिन जी रहे होते हैं। काम, परिवार, थोड़ी थकान, कभी-कभार नींद की कमी और मीठा खाने की आदत—सब कुछ ठीक चल रहा होता है। लेकिन फिर शरीर धीरे-धीरे कुछ इशारे देने लगता है। आपको बार-बार प्यास लगने लगती है, खाना खाने के कुछ घंटों बाद अजीब थकावट महसूस होती है, वजन थोड़ा-थोड़ा बढ़ता जा रहा है, और नींद भी गहरी नहीं आती। आप सोचते हैं कि शायद यह सब तनाव की वजह से हो रहा है। लेकिन कई बार ये लक्षण सिर्फ थकान या उम्र का असर नहीं होते—ये प्री-डायबिटीज के संकेत हो सकते हैं।

प्री-डायबिटीज कोई बीमारी नहीं, बल्कि शरीर की एक चेतावनी है। यह एक ऐसा दौर होता है जहाँ शरीर का इंसुलिन रेस्पॉन्स धीरे-धीरे कमज़ोर हो रहा होता है, लेकिन ब्लड शुगर अभी डायबिटीज के स्तर तक नहीं पहुंचा होता। इसे समय पर पहचानकर रोका जा सकता है, और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है—कि अगर समझ लिया तो आप डायबिटीज को आने से पहले ही रोक सकते हैं।

ऐसा पहला संकेत जो अक्सर नजरअंदाज होता है, वो है अचानक थकावट। ऐसा नहीं कि आपने दिनभर कोई मेहनत का काम किया हो, फिर भी दोपहर के बाद शरीर भारी-सा लगने लगता है, दिमाग धुंधला महसूस होता है। यह एक मेटाबॉलिक थकान होती है, जहाँ शरीर शुगर को ऊर्जा में बदल नहीं पाता, और आप अजीब थकान का अनुभव करते हैं। यह रोज़ नहीं तो हफ्ते में कुछ बार होने लगता है और धीरे-धीरे एक आदत बन जाती है, जिसे लोग ‘नींद की कमी’ या ‘काम का बोझ’ मानकर टाल देते हैं।

दूसरा संकेत है बार-बार प्यास लगना और पेशाब जाना। जब शरीर में ब्लड शुगर हल्का-सा भी बढ़ता है, तो वह उसे यूरिन के ज़रिए निकालने की कोशिश करता है। नतीजा—आपको बार-बार पेशाब आता है, खासकर रात को 1–2 बार उठना पड़ता है, और फिर प्यास भी अधिक लगती है। यह सब बिलकुल धीरे-धीरे शुरू होता है, इसलिए इसे सामान्य माना जाता है, जबकि यह शरीर की चीख़ हो सकती है—कि इंसुलिन अब वैसा काम नहीं कर रहा जैसा उसे करना चाहिए।

तीसरा लक्षण जो विशेष रूप से महिलाओं में देखा जाता है, वह है त्वचा में परिवर्तन, जैसे गर्दन या कांख के पास त्वचा का गहरा होना या मखमली जैसी मोटी परत बनना। इस स्थिति को medically “acanthosis nigricans” कहा जाता है और यह अक्सर इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण होती है। यह एक बहुत early और साफ संकेत है कि शरीर ब्लड शुगर को ठीक से हैंडल नहीं कर पा रहा है।

चौथा संकेत जो बहुत subtle लेकिन महत्त्वपूर्ण है, वह है अचानक मीठा खाने की तीव्र इच्छा। जब शरीर को सही समय पर ग्लूकोज़ नहीं मिल पाता, तो दिमाग craving भेजता है—खासकर कार्बोहाइड्रेट या मीठी चीज़ों की। आप पाएंगे कि आपने अभी खाना खाया फिर भी कुछ मीठा खाने की तलब हो रही है। यह इंसुलिन के फ्लक्चुएशन की वजह से होता है और लंबे समय में आदत बन जाती है जो वजन और ब्लड शुगर को और बिगाड़ देती है।

पाँचवां लक्षण है कमर के आसपास चर्बी का जमा होना, जिसे medically “central obesity” कहा जाता है। अगर आपकी कमर पुरुषों में 90 cm और महिलाओं में 80 cm से ज़्यादा हो रही है, तो यह pre-diabetes का एक खास मार्कर हो सकता है। इस प्रकार की चर्बी सीधे इंसुलिन रेसिस्टेंस से जुड़ी होती है और यही वह फैट है जो आंतरिक अंगों पर भी असर डालता है।

अब जब आप इन संकेतों को पहचानते हैं, तो अगला सवाल होता है—”क्या इसकी जांच की जा सकती है?” जवाब है—बिल्कुल। और सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको बड़े-बड़े मेडिकल सेंटर या महंगे टेस्ट्स की ज़रूरत नहीं। आप तीन आसान टेस्ट से यह जान सकते हैं कि आप प्री-डायबिटिक स्टेज में हैं या नहीं।

सबसे पहला और सामान्य टेस्ट है फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट। इसे सुबह खाली पेट करवाया जाता है। यदि इसका रेंज 100 से 125 mg/dl के बीच आता है, तो यह प्री-डायबिटीज का संकेत है। यह टेस्ट लगभग हर पैथोलॉजी में उपलब्ध है और इसका परिणाम उसी दिन मिल जाता है।

दूसरा टेस्ट जो बहुत विश्वसनीय माना जाता है, वह है HbA1c टेस्ट। यह पिछले तीन महीनों की औसत ब्लड शुगर को दर्शाता है। यदि HbA1c का परिणाम 5.7% से 6.4% के बीच आता है, तो इसका मतलब है कि आप प्री-डायबिटिक रेंज में हैं। यह टेस्ट आपको इस बात की गहरी जानकारी देता है कि आपका शुगर नियंत्रण समय के साथ कैसा रहा है।

तीसरा और बेहद उपयोगी टेस्ट है Oral Glucose Tolerance Test (OGTT)। इसमें फास्टिंग के बाद आपको ग्लूकोज़ की एक निर्धारित मात्रा दी जाती है और 2 घंटे बाद फिर से ब्लड शुगर मापा जाता है। अगर यह 140–199 mg/dl के बीच आता है, तो आप प्री-डायबिटिक हैं। यह टेस्ट अक्सर गर्भावस्था में GDM (Gestational Diabetes) की जांच के लिए भी किया जाता है।

प्री-डायबिटीज को वक्त रहते पहचानना एक मौका होता है—अपनी लाइफस्टाइल, खानपान और आदतों को दोबारा डिज़ाइन करने का। अच्छी बात यह है कि इसे दवा के बिना, सिर्फ जीवनशैली में बदलाव से ठीक किया जा सकता है। हल्का रोज़ाना वॉक, मीठे और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से परहेज, पर्याप्त नींद, और स्ट्रेस को संभालने की आदतें—ये सब मिलकर आपके शरीर को फिर से संतुलन में ला सकती हैं।

यदि आपको ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। यह एक ‘जागने वाली घंटी’ है, जो डायबिटीज से पहले आई है—और जिसे सुनकर आप अपने स्वास्थ्य की दिशा बदल सकते हैं।

 

FAQs with Answers:

  1. प्री-डायबिटीज क्या होता है?
    यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है लेकिन डायबिटीज के स्तर तक नहीं पहुंचा होता।
  2. प्री-डायबिटीज में थकान क्यों होती है?
    शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिससे ग्लूकोज का एनर्जी में परिवर्तन बाधित होता है और थकावट होती है।
  3. गर्दन की त्वचा काली क्यों हो जाती है?
    यह Acanthosis Nigricans हो सकता है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस का संकेत है।
  4. क्या प्री-डायबिटीज रिवर्स किया जा सकता है?
    हाँ, सही खानपान, व्यायाम और वजन नियंत्रण से इसे पूरी तरह रिवर्स किया जा सकता है।
  5. प्री-डायबिटीज में कौन-से टेस्ट ज़रूरी होते हैं?
    फास्टिंग ब्लड शुगर, HbA1c और OGTT तीन मुख्य परीक्षण हैं।
  6. HbA1c कितना हो तो प्री-डायबिटीज मानी जाती है?
    अगर HbA1c 5.7% से 6.4% के बीच है तो यह प्री-डायबिटिक स्टेज मानी जाती है।
  7. प्री-डायबिटीज और डायबिटीज में फर्क क्या है?
    ब्लड शुगर की मात्रा प्री-डायबिटीज में थोड़ी बढ़ी होती है जबकि डायबिटीज में काफी अधिक होती है।
  8. क्या प्री-डायबिटीज के लक्षण स्पष्ट होते हैं?
    नहीं, अक्सर ये लक्षण सूक्ष्म और धीरे-धीरे सामने आते हैं।
  9. क्या वजन बढ़ना इसका कारण हो सकता है?
    हाँ, खासकर पेट के आसपास की चर्बी (central obesity) एक मुख्य कारण होती है।
  10. मीठा खाने की तलब क्यों बढ़ती है?
    शरीर में इंसुलिन फ्लक्चुएशन के कारण दिमाग ज्यादा ग्लूकोज की मांग करता है।
  11. क्या सिर्फ टेस्ट से ही पहचान संभव है?
    हाँ, लक्षणों के अलावा, परीक्षणों से सटीक स्थिति जानी जा सकती है।
  12. कितनी बार टेस्ट कराना चाहिए?
    अगर जोखिम है तो हर 6 से 12 महीने में HbA1c या FBS कराना चाहिए।
  13. प्री-डायबिटीज में खाने में क्या परहेज करें?
    प्रोसेस्ड शुगर, रिफाइंड आटा, कोल्ड ड्रिंक्स, और अधिक कार्ब्स से बचें।
  14. क्या यह बच्चों में भी हो सकता है?
    दुर्भाग्य से हाँ, मोटापे और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण बच्चों में भी देखा जा रहा है।
  15. प्री-डायबिटीज के लिए आयुर्वेदिक उपाय क्या हैं?
    मेथी, जामुन के बीज, गिलोय और नीम जैसे तत्व रक्त शर्करा संतुलन में सहायक हो सकते हैं।